जम्मू-कश्मीर का चुनाव तीन चरणों में होगा जो 18 सितंबर 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को है। जबकी चुनाव में हुए वोटो की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।
महबूबा मुक्ति ने जम्मू-कश्मीर चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में हो रहे चुनाव में नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अगर वहां मुख्यमंत्री बन भी गई तो केद्र शासित देश में वह अपनी पार्टी का एजेंडा पूरा नहीं कर पाएंगी, इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ रही।
महबुबा मुफ़्ती ने जो कहा वह जाने।
महबुबा ने कहा मैं बीजेपी के साथ 2016 में एक बार सरकार में रह चुकी हूं। जहां हमने 12000 लोगो के खिलाफ प्रथमिकी वापस ले ली थी.क्या हम आज ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं भाजपा के साथ सरकार में थी तब मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अलगाववादियों को बातचीत के लिए अमंत्रित करने के लिए एक पत्र लिखा था, क्या आज हम ऐसा कर सकते हैं। माने जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए जामिनी सतार पर संघर्ष विराम लगाया, क्या आज आप ऐसा कर सकते है। अगर आप मुख्यमंत्री के तौर पर प्रथमिकी वापस नहीं ले सकते तो ऐसे पद का क्या मतलब है, मैंने खुद को इसलिए चुनाव से दूर रखा है।
महबूबा मुफ्ती ने क्यों रखा खुद को चुनाव से दूर ?
महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति को और भी रोमनचक बना दिया है, उनका ये एलान कि वहां जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रही काफी सोचने लायक बात है। वही विशेषज्ञों की राय है कि महबूबा को मालूम है कि शायद ही इसबार उनकी पार्टी अकेले सरकार बना पाए, ऐसे में उन्हें चुनाव न लड़ने का ही मन बनाया है।
उमर अब्दुल्ला पर तंज कसते हुए महबूबा मुफ़्ती ने कहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने उमर अब्दुल्ला को तंज कसते हुए कहा: उमर अब्दुल्ला ने खुद कहा था कि एक चपरासी के तबादले के लिए भी उन्हें (लेफ्टिनेट गवर्नर) के पास जाना पड़ेगा। मुझे चपरासी के तबादले की चिंता नहीं है पर क्या मैं अपनी पार्टी का एजेंडा पूरा कर पाऊंगी। उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश रहने तक विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लेने का संकल्प लिया था, पर मंगलवार को पार्टी द्वार जारी किए गए लिस्ट में 32 उमीदवारों में से एक नाम उनका भी है।
Experienced Social Media Creator sharing tips & tricks for building a successful online presence. Follow my journey to grow your own brand and monetize your content.