वैवाहिक बलात्कार को अपराध के दायरे में लाने के लिए सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है। यह मुद्दा सामाजिक रूप से काफी गंभीर है और इसका समाज पर सीधा असर पड़ता है। केंद्र सरकार ने 3 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में यह बात कही है। इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए सरकार ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने की जरूरत नहीं है। सरकार ने यह भी कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करना सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने वैवाहिक बलात्कार पर जल्द सुनवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यह कानून का मामला है और सरकार को इस पर बहस करनी होगी।
वैवाहिक बलात्कार क्या है?
जब पति अपनी पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे वैवाहिक बलात्कार कहा जाता है। हालांकि भारत में इसे अपराध नहीं माना गया, लेकिन इसे घरेलू हिंसा की श्रेणी में रखा गया है।
दुनिया के कई देशों में इसे कानूनी अपराध की श्रेणी में रखा गया है। जिसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, अफ्रीका, सिंगापुर, श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।
मौजूदा मामलों में नहीं मिलेगी रोक
हाईकोर्ट ने अदालतों में चल रहे वैवाहिक बलात्कार के मामले में भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है। रोक लगाने की मांग करने वालों ने दलील दी कि केंद्र सरकार अभी भी वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के लिए परामर्श कर रही है।
हालांकि सरकार भी इस मामले को टालने की पूरी कोशिश कर रही है। कई सुनवाई के बाद भी इस मामले का कोई हल नहीं निकल पाया है। क्योंकि परामर्श खत्म होने की कोई आखिरी तारीख नहीं है। और इस मामले में अब तक कई दलीलें दी जा चुकी हैं।