इन दिनों भारत और कनाडा के रिश्ते में काफी तनाव पहले ही चल रहे हैं। और हर दिन ऐसी घटना होती जा रही हैं कि यह तनाव तो बढ़ता ही जा रहा हैं। ऐसे में कनाडा सरकार ने लिया बड़ा फैसला, इंटरनेशनल विद्यार्थियों के लिए फास्ट ट्रैक वीजा प्रोग्राम को खत्म कर दिया गया हैं। इसका प्रभाव भारत समेत कई और देशों की विद्यार्थी पर पड़ सकता हैं। कनाडा सरकार ने यह फैसला तत्काल स्थिति को देखकर लिया गया हैं।
कनाडा ने नाइजीरिया के छात्रों के लिए नाइजीरिया स्टूडेंट्स एक्सप्रेस स्कीम को भी बंद कर दिया है । तथा अब स्टडी परमिट आवेदन, स्टैंडर्ड प्रोसेस का उपयोग कर जमा किए जाएंगे। इस फैसले से भारतीय स्टूडेंट को झटका सा लगा है। क्योंकि हर साल भारत से लाखों स्टूडेंट्स कनाडा पढ़ने जाते थे। लेकिन कुछ सालों से SDS और नॉन SDS वीजा की स्वीकृति में बहुत ज्यादा अंतर देखने को मिल रहा हैं। SDS वीजा पॉलिसी अपलाई करने से भारतीय स्टूडेंट को कम दिनों की अवधि में ही वीजा मिल जाता था। जिसके कारण ज्यादा से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट्स स्टडी परमिट हासिल कर पा रहे थे। लगभग 80% छात्रों ने 2022 में sds की मदद से वीजा प्राप्त किया था।SDS प्रोग्राम को 2022 में लाया गया था। इसे इमिग्रेशन रिफ्यूजी सिटिजनशिप द्वारा शुरू किया गया था। इसका इस्तेमाल छात्रों की वीजा प्राप्त करने वाली प्रक्रिया को आसान बनाना था। HT की रिपोर्ट के अनुसार जिन भी विद्याथिर्यों ने SDS वीजा स्कीम के तहत् अप्लाई किया, उनकी स्वीकृति दर 95% थीं। SDS रद्द करने की सबसे बड़ा कारण यह नहीं विदेश छात्रों की संख्या को कम करना है। कनाडा सरकार ने छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया है। ऐसे मे स्टूडेंट्स को अब वीजा के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। और स्टूडेंट्स की संख्या पर भी लिमिट लगा दी जाएगी।
आज के युग में इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत बढ़ चुका हैं, हम हर छोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी चीज के लिए इंटरनेट पर निर्भर हैं। इंटरनेट सेवा को लेकर ही ऑस्ट्रेलिया में बड़ा फैसला लिया गया। ऑस्ट्रेलिया की सरकार अब सोशल मीडिया पर बैन लगाने जा रही हैं। अब 16 से कम उम्र के बच्चे इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। यह फैसला बच्चों की भविष्य को देखते हुए लिया गया हैं। क्योंकि जिस उम्र में बच्चे की मानसिक और शारीरिक विकास होता हैं, तो इस समय में बच्चों को केवल अपना ध्यान पढ़ाई में लगाना चाहिए, तथा अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। यह ऑस्ट्रेलिया सरकार के द्वारा बहुत अच्छा कदम लिया गया हैं। क्योंकि सोशल मीडिया के कारण बच्चे अपने लक्ष्य से भटक जाते है।
प्रधानमंत्री ने की घोषणा
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एलबेनिस ने घोषणा की हैं,बच्चों की मानसिक रक्षा के लिए सरकार पॉलिसी ला रही हैं। यह फैसला काफी अच्छा हैं लेकिन काफी कड़ा भी हैं। सरकार इस पॉलिसी को अगले साल तक लागू करने का सोच रही हैं। पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने इस फैसले की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने अपने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा हैं। वे इस फैसले का समर्थन करते हैं।
सोशल मीडिया वरदान है या अभिशाप
आज के टाइम में सोशल मीडिया को वरदान और अभिशाप दोनो कहा जा सकता हैं। सोशल मीडिया तो बच्चों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया हैं। इंटरनेट के माध्यम से बच्चे काफी अच्छी अच्छी चीजें सीखते हैं लेकिन इसके कई दुष्परिणाम भी हैं। बच्चे अपने समय की बर्बादी भी करते हैं। और अधिक सोशल मीडिया के उपयोग के कारण उनकी मानसिक स्थिति कर भी इसका असर पड़ता हैं तथा वे बिल्कुल इसके एडिक्ट होते जा रहे। ये चीजें न उनके लिए अच्छे हैं न ही देश की भविष्य के लिए।ऑस्ट्रेलिया की सरकार बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित है।
पहले भी कई देश ला चुके है ऐसे कानून
पहले भी सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कई देशों ने इस तरह के कानून लाए हैं। जैसा अमेरिका में भी 13 साल से कम उम्र करना बच्चों को इंटरनेट सेवा इस्तेमाल करने के लिए पहले माता पिता की अनुमति लेना अनिवार्य हैं।
नीदरलैंड में फुटबॉल मैच के दौरान इजरायली फैंस पर हमले किए गए। जिसमें की काफी लोगों की घायल होने की खबर सामने आई हैं। इसराइली समर्थकों के साथ मारपीट भी की गई। 5 घायलों व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती भी कराया गया।यह हमला गुरुवार को किया गया था।
पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायली लोगो को वहां से लाने के लिए 2 विमान भी भेजा है। नेतन्याहू इन सारी घटनाओं को काफी गंभीरता से लेते हैं। इस मामले मे एम्स्टर्डम पुलिस ने 62 लोगो को अपनी गिरफ्त में ले लिया हैं। यह घटना फुटबॉल मैच के दौरान शुरू हुई, और मैच के बाद भी जारी रही। इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय ने नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में अपने नागरिकों को यह आदेश दिया हैं कि वो अपनी सुरक्षा का ध्यान रखे, और जब तक स्थिति सामान्य नही होती ,तब तक होटल रूम में ही रहे। इजरायल की सुरक्षा मंत्री ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि फुटबॉल खेल देखने गए प्रशंसकों को यहूदी विरोधी भावनाओं का सामना करना पड़ा। और उन पे केवल यहूदी विरोधी और इसराइल समर्थक के आधार पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया। फेमके हेल्समा ने इस हमले के बाद फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन पर 3 दिन के लिए प्रतिबंध लगा दिए हैं। मेयर फेमके हेल्समा ने बताया कि मेकाबी तेल अवीव के प्रशंसक पर शहर में हमला हुआ हैं। तथा पुलिस ने लोगों को सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप किए ओर लोगों को सुरक्षित होटल रूम पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया, और 5 लोगो को गिरफ्तार भी किया। पुलिस ने बताया कि उन्होंने इस घटना की जांच शुरू कर दी हैं। लेकिन अब तक,जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया हैं उनके बारे मे कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई हैं। दोनों देशों के नेताओ ने इस घटना की कड़ी निंदा की हैं। नीदरलैंड के प्रधानमंत्री डिक सूफ ने अपने एक्स में पेस्ट करते हुए कहा कि , उन्होंने हिंसा कि खबरे देखी , और इजरायली लोगो पर यहूदी विरोधी हमले पूरी तरह अस्वीकरणीय हैं।” मैं इस हमले से जुड़े सभी सभी लोगों के साथ संपर्क ने हूं “। सूफ ने बताया कि उन्होंने नेतन्याहू से बात की और आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ने का आश्वासन भी दिया।
7 नवंबर को भाजपा और अन्य विधायकों की बीच हाथापाई हो गई। लगातार तीसरे दिन विधानसभा में अशांति जारी रही। तथा भाजपा और मार्शलों के बीच झड़प चलती रही। जिसके परिणामस्वरूप स्पीकर को सदन की कारवाही स्थगित करनी पड़ी। यह सत्र सोमवार को ही आरंभ हुआ, लेकिन अभी तक सही ढंग से चल नहीं पाया हैं।
विधायकों के बीच हुई झड़प
हंगामा इतना अधिक बढ़ गया कि, जम्मू कश्मीर का विधानसभा सत्र इससे प्रभावित हो रही है। मार्शलों में बीजेपी के विधायक को बाहर ही फेक दिया, जिसके बाद दोनों के बीच झड़प हो गई। ओर मजबूरन अब्दुल रहीम को कारवाही को स्थगित करना ही पड़ा।जब लोग इधर उधर जा रहे थे,एक सख्श तो टेबल पर चढ़ गया , ये सारी घटना तो सीएम अमर अब्दुल्ला के सामने हो रही थी। और वो वही मौजूद थे, तथा पूरे शोर शराबे को बस देख रहे थे। भाजपा सदस्य का विरोध एक प्रस्ताव के विरोध को लेकर शुरू हुआ था। आर्टिकल 370 जिसको 5 साल पहले ही खत्म कर दिया गया था।
बीजेपी ने कहा, लोगों को किया जा रहा गुमराह
कश्मीर में फिर से आर्टिकल 370 को लेकर बवाल मचा हुआ हैं। विधानसभा में 370 फिर से लागू करने के लिए प्रस्ताव पास हो गया था बीजेपी द्वारा इस प्रस्ताव का पूरा विरोध किया जा रहा हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया की नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू कश्मीर के लोगो को अपनी बातों में फंसा रही हैं, जबकि आर्टिकल 370 का बहाली ड्राफ्ट स्वयं स्पीकर द्वारा तैयार किया गया था। बीजेपी का यह भी कहना है कि कोई भी आर्टिकल 370 और 35a को दोबारा नहीं ला सकती हैं। भाजपा के विधायकों को हाथापाई के दौरान बाहर निकाल दिया गया था , जिसके बाद वहां के मंत्री सब भाजपा पर फूट डाले राज करो नीति को अपनाने का आरोप लगाने लगे। बुधवार को यह प्रस्ताव आने के दौरान ही अशांति उत्पन्न हो गई। तथा विवाद के उपरांत फिर से ये सत्र गुरुवार को शुरू हुआ। इंजीनियर रसीद के भाई विधायक खुर्शिद अहमद देख अनुच्छेद 370 बैनर को सदन में लहरा रहे थे, इसके बाद बीजेपी नेता ने खुर्शीद अहमद से बैनर छीनने का प्रयास करने लगे। जिसके बाद विपक्ष के नेता सुनील कुमार इस बात भड़क गए तथा इसपर आपत्ति जताई, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ और मामला इतना आगे बढ़ गया की लोगो के बीच हाथापाई हो गईं।
मुख्यमंत्री ने किया प्रस्ताव खारिज
अमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया, यह प्रस्ताव तो बस जनता को आकर्षित करने के किए पेश किया गया था। इसका वास्तविकता से कोई संबंध नही। उन्होंने यह भी कहा कि इतना सेंसिटिव टॉपिक उठाने से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस को विचार कर लेने चाहिए था। बीजेपी का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू कश्मीर का माहौल खराब करना चाहती है।
पुडुचेरी में एक 16 साल की नाबालिक लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया हैं। लडकी मुंबई से आई अपने परिवार के साथ घूमने आई थी। और यहां आकर गुमशुदा हो गई। जिसके बाद वो केन्द्रशासित प्रदेश में पाई गई। गुमशुदा होने के बाद लड़की की मां ने ग्रैंड बाजार पुलिस स्टेशन मे रिपोर्ट दर्ज कराई। यह भी बताया जा रहा हैं की लड़की अपने रिश्तेदारों से लड़ झगड़ा के घर से भाग गई थी।
नाबालिग का सामूहिक बलात्कार किया गया। पुलिस ने अब तक इस मामले में ऑटो ड्राइवर ख्वाजा मोइद्दीन सहित तीन लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया हैं। पहले ऑटो ड्राइवर ने ही लड़की के रेप किया, और उसे उसी हालत मे छोड़ के भाग गया। सीसी टीवी कैमरा में यह देखा गया की लड़की मोइद्दीन की ऑटो में बैठी थी और पर्यटक स्थल ले जाने के बगैर वह उसे अपने घर ले गया,और वहां दुष्कर्म किया। पुलिस द्वारा पीड़ित को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में चाइल्ड वेलफेयर की टीम पहुंची, और पीड़िता की काउंसलिंग की। लड़की के कथित बयानों के अनुसार पॉस्को एक्ट, BNS की अन्य धाराओं में FIR दर्ज हुई। मीडिया के अनुसार लड़की का 30 अक्टूबर को ही अपने घरवालों से विवाद हो गया था, जिसके बाद वह गुस्से से घर से भाग गई थीं।ड्राइवर ने लड़की को पहले नशीली प्रदार्थ का सेवन करवाया ओर फ़िर उसके साथ गलत काम किया। जिसके बाद चार पर्यटक ने उसे हवस का शिकार बनाया। लड़की को चेन्नई ले गए, और वापस उसे पुडुचेरी मे लेकर छोड़ दिया। 1 नवंबर को पुलिस को इस बारे मे जानकारी मिली। पीड़िता बेहद बुरी हालत में समुद्र तट पर पाई गई थी। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया हैं, और एक आरोपी की तलाश अभी भी जारी हैं।
अमेरिका में इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं। इस चुनाव को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनल्ड ट्रंप का मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस से हैं। अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं। और ज्यादातर लोग चुनाव में एक ही पार्टी का समर्थन करते हैं। लेकिन कुछ स्विंग स्टेट्स चुनाव में होने वाले नतीजों को प्रभावित भी कर करते हैं। आमतौर पर अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में अंग्रेजी भाषा में ही मतदान होता है। लेकिन इस बार कुछ भारतीय भाषाओं को भी शामिल किया गया हैं, जैसे बंगला कोरियाई।
अमेरिका में भारतीय किं संख्या काफी बढ़ी हैं। हिंदी भाषी मतदाताओं की संख्या मे भी इजाफा हुआ हैं। लेकिन हिंदी भाषा को इस सूची में शामिल नहीं किया गया हैं। हिंदी के बजाय बंगला और कोरियाई को शामिल किया गया है। शायद यह कदम इसीलिए उठाया गया होगा, जिससे भाषाई और संस्कृतिक महत्वता बढ़े। यह भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि राजस्थानी भाषा व्हाइट हाउस से मान्यता प्राप्त भाषाओं मे शामिल हैं। इस चुनाव मे तो कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। डोनाल्ड ट्रंप शुरूआत से ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बढ़त बनाए हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव मे 535 इलेक्ट्रॉल कॉलेज वोट होते हैं। और चुनाव जीतने के लिए 270 इलेक्ट्रॉल कॉलेज वोट चाहिए होते है। ट्रंप 267 इलेक्ट्रॉल कॉलेज वोट हासिल कर चुके हैं। कमला हैरिस को अब तक 210 इलेक्ट्रॉल कॉलेज वोट मिले हैं। हैरिस ने अभी अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन, कैलिफोर्निया , न्यूयॉर्क, तथा और भी अन्य राज्यों में जीत हासिल की हैं। अब तक हैरिस को 14 राज्यों में जीत मिली हैं। और मीडिया के अनुसार ट्रंप को 23 राज्यों में जीत मिल चुकी हैं। अमेरिका में हर चार साल में राष्ट्रपति होता हैं।47 वे राष्ट्रपति चुनाव के लिए लाखों लोग मंगलवार को मतदान करने के किए मतदान केंद्र की ओर पहुंचे। ट्रंप ने अपने चुनावी वादे में, अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, ऊर्जा लागत को कम करना, अवैध प्रवासियों द्वारा जो विदेशी वस्तुओं पर जो बहुत ज्यादा टैक्स लगाते है उन्हें देश से बाहर निकालने का वादा भी किया। वही कमला हैरिस ने 100 मिलियन से अधिक अमेरिको के लिए कर कटौती, सस्ती आवास व्यवस्था , और महिलाओं के और अधिक सुरक्षा, तथा गर्भपात प्रतिबंध को हटाने का वादा किए हैं कमला हैरिस आगर चुनाव जीतेगी तो वे अमेरिका की पहली अश्वेत महिला राष्ट्रपति बनेगी। फिलहाल तो सबकी निगाहे स्विंग स्टेट्स पर टुकी हैं। अमेरिका के सात स्टेट्स को स्विंग स्टेट्स को दर्जा दिया गया हैं। और इन स्टेट्स के नतीजे के हिसाब से चुनाव का माहौल बदलता रहता हैं।इन साथ स्टेट्स में पेंसिल्वेनिया, मिशिगन,जॉर्जिया, नेवादा, नार्थ केरोलिना, विस्कोनसिन एरिजोना, शामिल हैं। हैरिस और ट्रंप दोनों प्रतिद्वंदी ने इन स्टेट्स को जितने के लिए काफी कोशिश किए।
अमेरिका का चुनाव भारत में किस प्रकार प्रभाव डालेगा।
अमेरिका दुनिया का सबसे सशक्त देश एच, और वहां के राष्ट्रपति का चुनाव शुद्ध दुनिया के पे प्रभाव डाल सकता है। भारत के लिए यह प्रभाव राजनीति और व्यावसायिक डोनो ही ड्रिस्टिकोन से महत्तवपूर्ण है। डोनाल्ड ट्रंप से भारत के रिश्ते अभी तक काफी अच्छे थे अगर डोनाल्ड ट्रंप यह चुनाव जितते तो भारत के लिए यह अच्छा अवसर होगा।वही विपाची पार्टी में कमला हरीश जो कि भारत से जुड़ी हुई थी, अगर वहां चुनाव जीतती थी तो क्या बदलाव होगा वाह जेन से पहले हमें देखना होगा कि वाह भारत के बारे में मैं क्या सोचती हूं। कमला हरीश की माँ तमिलनाडु की है और कई बार कमला हरीश जी को तमिलनाडु में मैं उनके नाना के घर आई हूं। मगर 370 धारा को कश्मीर से हटाने के लिए पीआर कमला हरीश जी का बयान भारत के खिलाफ था जो चिंता का विषय है।
पद्म भूषण से समानित लोक गीत गायिका शारदा सिन्हा जी ने 72 वर्ष की आयु में निधान। दिल्ली एम्स में जिंदगी और मौत से लड़ीं शारदा सिन्हा जी ने 9:20 मिनट पर अपनी आखिरी सांस ली। छठ मैया के गीत से सम्पूर्ण भारत में जाने वाली बिहार की बेटी शारदा सिन्हा छठ पर्व के पहले दिन ही निधन हो गया।
बिहार में जन्मी शारदा सिन्हा जी जो अपने छठ गीत से आज सम्पूर्ण भारत में जानी जाती है उनका आज रात दिल्ली का लक्ष्य है कि मैं छठ पूजा के प्रथम दिन ही निधान हो गया।
पिछले कुछ समय पहले से ही शारदा सिन्हा जी की तबीयत खराब रहती थी। 25 अक्टूबर को अचानक से उनकी तबीयत में आई भारी गिरावत के कारण उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया, वहां उनकी हालत काफी खराब बताई जा रही थी। 27 अक्टूबर को अंशुमन सिन्हा ने एक वीडियो के द्वार यह जनकारी लोगो तक पहुंचाई। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा जी की तबीयत काफी गंभीर हो गई थी जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। वही मगलवार की देर रात डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
प्रधान मंत्री मोदी जी ने अंशुमान सिन्हा से की बात
बेटे अंशुमान सिन्हा ने मां के दुख में अपना नया गाना रिलीज किया
मगलवार की सुबह शारदा सिन्हा जी की तबियत काफी खराब हो गई, इसी दौरान में प्रधानमंत्री मोदी जी ने शारदा जी के बेटे अंशुमान से बात करके उनका हाल पुचा जिस्मे अंशुमान ने बताया कि उनकी मां काफी गंभीर हैं और वो लोगो से दुआ करते हैं लोग छठी मैया से प्रार्थना करें कि उनकी मां जल्दी ठीक हो जाएं। उन्हें यह भी कहा कि मां इस बार बहुत बड़ी लड़ई लड़ रही है, जो कि जितना बहुत मुश्किल है, उन्हें बहुत मुश्किल हो रही है।
इसी दौरन शारदा जी के बेटे ने 2024 का अपना पहला गाना ‘दुखवा मिटाई छठी मैया’ रिलीज किया हा। लोगो ने मुझे कमेंट किया है कि शारदा ही के जदी ठीक होने की प्रार्थना भी है।
भारतीय यात्रियों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी की सामने आई हैं। भारतीयों के लिए थाईलैंड घूमना ओर भी आसान ही गया हैं। जानकारी के अनुसार लगभग 16 लाख भारतीय लोग इस साल थाईलैंड घूमने गए थे। अब थाईलैंड सरकार ने वीजा मुक्त प्रवेश नीति के अनिश्चितकाल विस्तार की घोषणा की। शुरुवात में यह वीजा फ्री नियम सरकार द्वारा एक साल के लिए 2023 में लागू किया गया था। और 11 नवंबर को ये नियम समाप्त होने वाला था। यह नीति भारतीय यात्रियों को थाईलैंड में 60 दिनों तक वीजा फ्री की अनुमति देता हैं। और फ्री वीजा पॉलिसी के कारण बहुत सारे पर्यटक थाईलैंड घूमने गए। और अचानक से उनके राजस्व में तेज इजाफा देखने को मिला। यही बड़ा कारण था जो सरकार ने ये पॉलिसी को स्थाई रूप से लागू कर दिया। मलेशिया ने भी भारतीयों के लिए वीजा फ्रि एंट्री शुरू की। रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले थाईलैंड के वीजा के लिए 3000 की धनराशि देनी पड़ती थीं। और कई डॉक्युमेंट्स भी जमा करने होते थे। अब भारतीयों के लिए थाईलैंड घूमना आसान हो गया हैं। और इसके बाद थाईलैंड जाने वाले भारतीयों पर्यटक की संख्या बढ़ेगी। भारत का पास्पोर्ट दुनिया भर के देशों में 83वे स्थान पर हैं। वही सिंगापुर का पास्पोर्ट सबसे मजबूत हैं । और अफगानिस्तान का पास्पोर्ट सबसे कमजोर है। थाईलैंड सरकार को इस नई नीति को लागू करने के बाद, थाईलैंड में रोजगार, आर्थिक स्थिति , में विकास होने की उम्मीद हैं। अब नए नियम के अनुसार भारतीय पर्यटक बिना वीजा के थाईलैंड में 60 दिनों तक रह सकते हैं। 60 दिनो तक आनंद लेने के बाद भी अगर,पर्यटक चाहे तो 30 दिनों तक ओर अपनी यात्रा को बढ़ा सकते हैं, स्थानीय कार्यालय आवर्जन के माध्यम से।
भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ते जा रहे हैं। पीएम मोदी ने कनाडा में हो रहे हिंदू मंदिरों पर हमले की पहली बार निंदा की। उन्होंने अपने एक्स पर पोस्ट करके लिखा कि मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनेताओं को डराने धमकाने की कार्यतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं , हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे। हम कनाडा सरकार से न्याय सुनिश्चित और कानून के शासन के बनाए रखने की उम्मीद करती हैं। उन्होंने आगे यह कहा की हम यह उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार जरूर न्याय सुनिश्चित करेगी। और कानून व्यवस्था को बनाए रखेगी।
लगातार दूसरे दिन खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमला के बाद, पीएम मोदी की प्रतिक्रिया आई। हमले में कुछ हिंदू घायल भी हुए थे। पीड़ितों का कहना था कि वहां पुलिस प्रशासन भी मौजूद थीं, लेकिन उनके द्वारा कोइ कदम नहीं उठाए गए। वायरल वीडियो मे यह दिख रहा था कि खालिस्तानियों ने बच्चों और महिलाओं पर भी हमले किए। खालिस्तानियों द्वारा रविवार को ब्रम्पटन शहर में हिंदू और हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए थे। विदेश मंत्रालय ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरविंद बागची ने कहा कि रविवार को हुए हिंदू सभा मन्दिर में कट्टरपंथियों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हम कनाडा सरकार से यह उम्मीद करते हैं कि सभी हिंदू पूजा स्थलों को बचाया जाए। और जो भी लोग इस तरह की हमले को अंजाम दे रहे हैं उनपे जल्द से जल्द कारवाही की जाए। भारतीय उच्चायोग ने भी इस घटना पर निराशा जताई हैं। तथा भारत विरोधी तत्वों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की। इस घटना से भारतीय लोग भी काफी चिंतित तथा निराश हैं। और कनाडा सरकार की जमकर आलोचना कर रहे हैं।