बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी… बुलडोजर एक्शन पर दिया बड़ा फैसला आजकल देश में बुलडोजर एक्शन काफी सुर्खियों मे चल रहा हैं।सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर पर बड़ा फैसला सुनाया।और इस पर रोक लगा दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि किसी भी गुनाह वा आरोप के आधार पर किसी का घर छीनना गलत हैं। बुलडोजर एक्शन पर जस्टिस बी आर गंवाई, और जस्टिस के विश्वनाथन की बेंच अपना फैसला सुना रही हैं। इसे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भा व्यक्ति का घर उसका आखिरी उम्मीद होती हैं। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी परिवार के लिए उसका घर एक सपने के तरह होता हैं। घर तो लोग कि अंतिम सुरक्षा होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते हैं। सभी राज्यों को इस विषय पर सख्त निर्देश दिए गए हैं।
15 दिन तक कोई कार्यवाही न की जाए
15 दिन तक कोई कार्यवाही न की जाए कोर्ट ने सख्त आदेश दिए और कहा कि, पहले नोटिस की जानकारी डीएम को दी जाए। और अवैध निर्माण अगर कही हुआ हैं तो पहले नोटिस भेजा जाए और 15 दिनों का मोहलत दिया जाए। नोटिस दिए जाने के बाद 15 दिनों तक कोई कार्यवाही ना कि जाए। व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का मौका देना होगा। यदि प्रक्रिया के अनुसार ऐसे नहीं होता तो ओर बिना समय दिए ये एक्शन लिया जाता हैं तो अधिकारियों से हर्जाना वसूल किया जाएगा।कोर्ट ने कहा अवैध कार्यवाही करने वाले को आधिकारिक रूप से दंडित किया जाए।
*कार्यपालिका आरोपों को दोषित घोषित नही कर सकती थी* SC ने कहा कि अगर केवल व्यक्ति के दोषित होने से घर को ध्वस्त किया जा रहा तो यह नियम बिल्कुल असंवैधानिक हैं। कार्यपालिका नहीं तय कर सकती कि कोन दोषित हैं कौन नहीं.. कार्यपालिका जज नहीं हैं। आगर सरकार किसी के आरोप के आधार पर संपत्ति को ध्वस्त कर सकती है तो ये कानून का उल्लंघन है।
*सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये निर्देश*
*ध्वस्तिकरण से पहले 15 दिन का समय देना होगा
*कोर्ट ने कहा किसी भी अपराध के लिए किसी का घर नहीं तोड़ा जाएगा ।
*अगर आरोपी ने गुनाह किया है तो उसके पूरे परिवार को सजा नहीं मिलेगी।
घर केवल संपत्ति नहीं हैं, यह परिवार का आश्रय हैं।
*गलत कारवाही करने पर पीड़ित को मुआवजा दिया जा सकता हैं।
*बुलडोजर एक्शन आशियाने के अधिकार का उल्लंघन होगा।
*और कोई विकल्प न होने पर बुलडोजर कारवाही की जाए।
*सरकार अफसर जो मनमानी करते हैं उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।